बुधवार, 1 जुलाई 2015

दुविधा के बादल

    (     मेरे दूसरे  कहानी संग्रह   'उजाले दूर नहीं "  में से एक कहानी )


कहानी  

      दुविधा के बादल


                                         पवित्रा अग्रवाल
 
      करन ने  अपनी पत्नी से कहा--"सुनो रानी ,भैया -भाभी पहली बार घर आ रहे हैं,उन की आवभगत जरा अच्छी तरह करना।'
 रानी ने भृकुटि कुछ टेढ़ी कर के कहा --"तुम कहना क्या चाहते हो ,क्या मैं आने जाने वालों का स्वागत अच्छी तरह नहीं करती ?'
 "अरे यार मैं ऐसा कुछ भी नहीं कहना चाहता ।उन के आने की बात सुन कर जरा एक्साइटेड हो गया हूँ या सच कहूँ तो थोड़ा टेंशन  हो रहा है बस उसी धुन में तुम से यह कह दिया ।असल में तुम्हे तो मालुम हैं भैया बहुत पैसे वाले हैं... वैसे पैसा तो बहुतों के पास होता है पर सब में  पैसे की बू नहीं होती ।'
 "हाँ कह तो तुम ठीक ही रहे हो पर भैया से ज्यादा घमंड भाभी और उनके बच्चों को है ।उनकी बात पैसे से शुरू हो कर पैसे पर ही खत्म होती है ।उनके यहाँ आने जाने वालों का स्वागत भी आने वाले की हैसियत के हिसाब से होता है।हमारे बच्चे तो वहाँ जाना ही नहीं चाहते ।'
 "वैसे वे नए मकान में शिफ्ट होने के बाद आते तो ज्यादा अच्छा होता ।'
 "हाँ... अपना सोफा कितना बेकार हो गया है.. डाइनिंग टेबिल भी यही सोच कर नहीं ली कि अब अपने नए घर में जा कर ही लेंगे ।'
 " चलो छोड़ो अब यह सब बातें....आ रहे हैं तो अपना नया घर तो जरूर देखना चाहेंगे ।'
 "अब जैसा भी है दिखा लाना उनका तो बहुत बड़ा है ।घर क्या उनकी तो कोठी है ..उस की डैकोरेशन में भी बहुत पैसा खर्च किया है ...जब हम उनके गृह प्रवेश में गए थे तो हर कमरे का परिचय देते हुए भाभी हर चीज की कीमत भी बताती जा रही थीं।'
 "हाँ, रसोई भी कितनी बड़ी है उसमें लगी चिमनी की कीमत ही करीब अस्सी हजार की बता रहे थे, चलो छोड़ो यह सब बातें ...उन्हें ठहरायेगे किस रूम में ।'
    "उनकी तरह लौबी में बिस्तर डाल कर जमीन में तो नहीं सुलायेंगे ।'
 "रानी अपन गृह प्रवेश में गए थे ,इतने सब मेहमानों को कमरों में पंलगो पर तो कोई भी नहीं सुला सकता ...उस बात को मन से नहीं लगाना चाहिए ।'
    " मैं तब की बात कर भी नही रही हूँ ।पाँच छह साल पहले जब मैं सुमन दीदी के पास गई थी तो लौटते में हमारी डाइरेक्ट ट्रेन वहीं से तो थी ।ट्रेन सुबह की थी इसलिए एक रात उन के पास रुकना पड़ा था ।..... मिन्नी मेरे साथ थी उसके बाद से तो मिन्नी वहाँ जाने से साफ ना कर देती है ।'
 " मुझे याद नहीं ऐसा क्या हुआ था वहाँ ?'
 " रात को भाई साहब,भाभी जी और बच्चे सब अपने अपने ऐ सी रूम बंद कर के सो गए और हम दोनो के लिए वहीं लिविंग रूम में गद्दा डाल दिया था ।उस रात मिन्नी बहुत रोई थी और बोली थी     "मम्मी अब आगे से मुझे यहाँ आने को कभी मत कहना '..भाभी जी या उनके एक दो बच्चे भी हमारे साथ सो गए होते तो उतना बुरा नहीं लगता पर...
 "यह बातें कोमन सेंस और संस्कारों की होती हैं,भैया तो पहले ऐसे नहीं थे ।'
 " अब हमारे पास तो दो ही कमरे हैं,हमारा कमरा बड़ा है।तुम और भाई साहब पलंग पर सो जाना ,मै और भाभी नीचे गद्दे डाल कर सो जाएगे ।'
 " हाँ यह ठीक रहेगा ।'
  "भाई साहब से भी पूछेंगे कि उन्हों ने भी अपना घर वास्तु के हिसाब से बनवाया था क्या ?''
 "मैं समझता हूँ भैया भी हमारी तरह इन फालतू बातों में विश्वास नहीं करते होंगे...आज कल तो जाने लोगों को क्या हो गया है किराए का मकान लेते समय भी वास्तु के बारे में पूछतें हैं ।'
 "वास्तु शास्त्र पहले तो सुनने में नहीं आता था,इधर तो यह एक बीमारी की तरह फैल रहा है।'
  "रानी वास्तु शास्त्र पहले भी था.. मकान बनाते समय कुछ बातो का ध्यान तब भी रखा जाता था जैसे घर में सूरज की रोशनी अच्छी आये ,घर हवादार व खुला खुला हो पर अब तो अति होती जा रही है।..असल में अब यह एक फलता फूलता व्यवसाय का रूप लेता जा रहा है ।'
 " मजे की बात तो यह है कि हरेक का अपना अपना वास्तु शास्त्र है। अभी कुछ दिन पहले ही पेपर में पढ़ रही थी कि मुख्य मंत्री का आफिस वास्तु के हिसाब से ठीक कराने में लाखों रुपए लग गए ...कुछ दिन बाद नया मुख्य मंत्री आया उसने वह सब तुड़वा कर अपने वास्तु शास्त्री के हिसाब से ठीक कराने में फिर लाखों रुपया लगा दिए, इस सब के बाद भी समय पूरा होने से पहले ही कुर्सी छोड़नी पड़ी ।'
 "जनता का पैसा है उन की जेब से क्या जाता है पर अफसोस तो तब होता है जब आम आदमी भी  इन बातों में फॅस कर बर्बाद होने को तैयार हैं।मैं ने मकान बनवाते समय अलग से किसी वास्तु शास्त्री की सलाह इसी लिए नहीं ली कि फिर उनकी बात न मानो तो मन में बहम हो जाता है ।'
 "पर इन शुभचिंतकों का क्या करूँ ,एक एक दोष निकाल कर मन में बहम पैदा करने लगे हैं...ऐसे ऐसे उदाहरण देते हैं जैसे "घर का मालिक मर गया...लड़की भाग गई' कि विश्वास हिलने लगता है ।'
 "रानी सब से अच्छा तरीका है गृह प्रवेश से पहले किसी को अब घर ही मत दिखाओ ।'
    " उस से कुछ खास फर्क पड़ने वाला नहीं है,वह अभी नहीं तो बाद में अपनी राय देंगे ...उस दिन गुप्ता जी किसी वास्तुशास्त्री के विषय में बता रहे थे और कह रहे थे गृह प्रवेश से पहले मकान का नक्शा दिखा कर उनसे एक बार राय जरूर लेलो ,वह बर्बादी नहीं होने देंगे और सही राय देंगे।'....परिवर्तन कराना न कराना तो अपने हाथ में है,मेरी भी इच्छा है कि तुम एक बार उनके पास चले जाओ ।'
 "अच्छा,सोचूँगा ।कल भाई साहब भी आ रहे हैं देखें वह क्या कहते हैं ।'

   खाना खाते हुए करन ने भाइ साहब से पूछा --" आप वास्तुशास्त्र में विश्वास करते हैं ? '
 " करता तो नहीं था पर तुम्हारी भाभी की इच्छा थी तो सोचा जहाँ इतना खर्च हो रहा हैं वहाँ लाख-पचास हजार और सही। भविष्य में परिवार में कुछ उल्टा सीधा घटा तो कम से कम मुझे तो ताने नहीं सुनने पड़ेगे ।'
 भाभी ने कहा --"करन मकान जिन्दगी में एक ही बार बनता है...वास्तु के हिसाब से ही बनवाना चाहिए, हमने तो पूरी तरह वास्तु के हिसाब से ही बनवाया है ।वास्तु-विशेषज्ञ ने पचास हजार लिए थे ।हमने तो इंटीरियर वाला भी हायर किया था ।'
 "लेकिन भाभी भैया को हार्ट अटैक तो इस नए घर में आने के बाद ही आया था न ?'
 "हाँ,अटैक तो नए मकान में ही आया था पर बच गए,इस लिए मैं तो इसे शुभ संकेत ही मानती हूँ।क्या तुमने भी वास्तु के हिसाब से बनवाया है ?'
 "हमारे पास इतने साधन कहाँ है भाभी ,बैंक लोन ले कर बस एक छोटा सा घर बना लिया है ..जितना घर का किराया यहाँ देते हैं उस से कुछ ज्यादा की किश्त चली जाया करेंगी ।वास्तु में हम
दोनो को ही विश्वास नही है पर मिलने जुलने वालों ने मन में शक पैदा कर दिया है..लेकिन विशेषज्ञ के पास जाते डर भी लगता है कि पता नहीं कितने का बिल और बन जाएगा ।'
 "करन मन में बहम आ ही गया है तो दिखालो ...पर आजकल मकान का नक्शा बनाने वालों को भी वास्तु का ज्ञान होता है ....उसने जरूर इसका ध्यान रखा होगा । ...वैसे एक बात बताऊँ यह बड़े लोगों के चोचल हैं।'
    "मैं भी ऐसा ही सोचता हूँ भैया पर रानी...
 "सोचती तो मैं भी ऐसा ही हूँ भैया कि पंडितों, वास्तु विशेषज्ञों के हिसाब से चलने पर यदि लोगो के जीवन से दुख गायब हो जाता तो सबसे ज्यादा सुखी तो यही लोग होते ..हमारे एक परिचित हैं उनका बिजनस अच्छा नहीं चल रहा था...किराये का दूसरा मकान ढूँढ़ते समय वह एक वास्तु शास्त्री साथ रखते थे। आखिर वास्तु विशेषज्ञ की मदद से उन्होंने एक मकान किराए पर ले लिया...पर तब भी हालत में सुधार नहीं आया तो उन्होंने किसी दूसरे विशेषज्ञ को बुलाया उसने सलाह दी कि अपने घर के पिछवाड़े में एक छोटा सा तालाब बनवाओ जिसमें हर समय पानी भरा रहना चाहिए, साथ ही उसमें सफेद कमल के फूल भी लगाओ...'
 भाई साहब ने चौंक कर पूछा -- "सचमुच का तालाब कैसे बन सकता है ?'
 "हाँ भाई साहब सचमुच का तो कैसे बनता,वहाँ पथरीली जमीन थी... पत्थर फोड़ने वाले को बुला कर वहाँ एक बड़ा गड्ढ़ा करा के उसमें पाइप से पानी भर दिया और उसे हर समय भरा ही रखतें थे पर दो महीने बीत गए हालात ज्यों के त्यो रहे फिर किसी तीसरे को बुलाया वह बोला सबसे पहले तो यह तालाब बन्द करिए,उस गड्ढ़े को फिर मिट्टी से भरा गया ।उसके बाद विशेषज्ञ ने रसोई और पानी के टैंक की जगह बदलने को कहा पर मकान मालिक ने उसकी परमीशन नहीं दी ।आखिर वह थक हार कर बैठ गए और फिर सारा घ्यान अपने बिजनस पर लगाने लगे, अब वह खुश हैं ।''
    भाई साहब के कुछ बोलने से पहले ही करन ने कहा--"रानी जब तुम इतना जानती हो तो लोगों की बातों में क्यों आ रही हो ,मेरी मानों तो जो तारीख हमने चुनी है उसी पर गृह प्रवेश कर लेते हैं...अभी समय है फिर से सोच लो।'
  भाई साहब को स्टेशन छोड़ कर आने के बाद करन ने रानी से फिर पूछा --"बोलो अब क्या इरादा है... कार्ड तो छपे रखे हैं कहो तो बाहर के भेज दूँ ।'
 "सुनो एक दो दिन और रुक जाओ मैं ने गुप्ता जी से वास्तु-विशेषज्ञ का पता ले कर रखा है,   एक बार नक्शे के साथ उनसे से मिल लो यदि मामूली सी फेर बदल करने को कहते हैं तो करा लेंगे वरना छोड़ देंगे।'
     "चलो ठीक है वैसे उनका थोड़ा सा परिवर्तन भी हमारे लिए बहुत होगा, अब और तोड़ फोड़ कराने की न तो मुझ में ताकत है और न हैसियत फिर भी कल उनसे मिलता हूँ ।'
     करन थोड़ा सा परेशान था और सोच रहा था हम अब तक इतने मकानों में रहे पर कभी वास्तु के बारे में नहीं सोचा..बच्चे भी अच्छे हैं ।मिन्नी अगले साल इंजीनियर हो जाएगी, अच्छी कंपनी में सलैक्शन भी हो गया है,संजू इंजीनियरिंग फस्ट ईयर में है  ..अब मकान भी अपना हो जाएगा ।बैंकों में जोड़ने को नहीं है पर गुजारा अच्छी तरह हो रहा है ।आदमी को जीवन में और क्या चाहिए..पर इतनी दुविधा में मैं ने अपने को कभी नहीं पाया।
        करन ने फोन पर वास्तुशास्त्री राजेश जी के सचिव से मिलने का समय लिया, पहुँच कर पहले फीस जमा कराई, कुछ देर के इंतजार के बाद मिलना हुआ।नक्शा देख कर वह बोले -- "अरे करन साहब आप मकान पूरा होने के बाद आए हैं पहले आए होते तो दोहरे खर्चे से बच जाते ,अक्सर लोग यही गल्ती करते हैं फिर हमें दोष देते हैं कि बहुत खर्च करा दिया ।'
 "अच्छा राजेश जी नक्शा देख कर यह तो बताइये कि दोष कहाँ कहाँ हैं ?'
 "करन जी दोष एक जगह हो ता बताऊँ...देखिए पूर्व तथा उत्तर की अपेक्षा आपने दक्षिण में ज्यादा जगह छोड़ रखी है जो ठीक नहीं...पूर्व में स्थित रसोई घर को हटा कर यहाँ बाथरूम की जगह करना पड़ेगा,बोर वैल और ये पानी का टैंक भी यहाँ से दूसरी जगह  शिफ्ट करना पड़ेगा।'
  "अरे राजेश जी इसे सुन कर ही मुझे चक्कर आने लगे हैं ,इतनी मेरी औकात नहीं, भगवान का नाम ले कर मैं तो ऐसे ही घर में रहने चला जाता हूँ।'
 "जैसा आप ठीक समझें पर इतना तय है कि आप वहाँ सुख से नहीं रह पायेंगे ।बाल बच्चेदार आदमी हैं, मुसीबतों को निमंत्रण क्यों देते हैं ?'
"अभी आपने जो दोष बताये हैं उसे सुधारने में कम से कम एक डेढ़ लाख रुपए तो लग जाएगे ?'
"हाँ पहले तो बना बनाया भाग तोड़ना पड़ेगा फिर बनाना पड़ेगा इतने तो आपके लग ही जायेंगे।'
 "मैं तो पेन्ट तक करा चुका हूँ ,पन्द्रह दिन बाद गृह प्रवेश है... कार्ड भी छप चुके हैं।'
  "मैं तो आपको यही सलाह दूँगा कि ठीक कराने के बाद ही उसमें जाए।'
 "ठीक है राजेश जी मैं पत्नी से सलाह करके और फिर पैसे का इंतजाम करके आपसे मिलूँगा ।'
 लौट कर घर की काल बैल बजाने की जरूरत नहीं पड़ी, रानी दरवाजे पर ही खड़ी थी ---
 "क्या कहा ?'
 "वही जो यह लोग कहते हैं कि बिना ठीक कराए उसमें रहने मत जाइये वरना मुसीबतें आपको घेर लेंगी लेकिन वास्तु के हिसाब से उसे ठीक कराने बैठा तो जाने से पहले  ही मुसबतों में घिर जाऊँगा ।'
  "वो कैसे ?'
 "उसे ठीक कराने के लिए एक डेढ़ लाख रुपए कहाँ से लाऊँगा ? हर महीने घर की किश्त भरनी हैं, दोनो बच्चे अभी पढ़ रहे हैं...अब और पैसे के लिए तो कहीं से ब्याज पर फिर कर्जा लेना पड़ेगा ।'
 "चलो इस विषय में बाद में सोचेंगे, थक गए होगे खाना खा कर आराम करो ।'
  दो तीन दिन बाद सुबह - सुबह रानी ने करन को सोते से जगाया -- "सुनो आप जिन वास्तु विशेषज्ञ के पास गए थे उनका नाम राजेश ही है न ?'
 "हाँ ,पर तुम मुझे नींद से जगा कर यह सब क्यों पूछ रही हो ?'
 "अरे बड़ा बुरा हुआ उनके साथ,अखबार में न्यूज है कि प्रसिद्ध वास्तु शास्त्री राजेश जी के बेटे की दुर्घटना में मौत हो गई...रात को दोस्तो के साथ बर्थ डे मना कर घर लौट रहा था पीछे से लौरी ने टक्कर मार दी .. उनके पुत्र की तो घटनास्थल पर ही मौत हो गई, उसके दोस्त की हालत गंभीर है ।'
 करन एक दम से उठ कर बैठ गया --"हे भगवान यह तो बड़ा दुखद समाचार है ..भगवान ऐसा दुख किसी को न दे, पर उनका घर तो निश्चय ही पूरी तरह से वास्तु के आधार पर बना होगा... उनके साथ यह अनहोनी कैसे हो गई ?'
 "हाँ बात तो सोचने लायक है ।'
 "रानी मेरे मन पर घिरे दुविधा के बादल अब छट गए हैं ।अपने हिस्से के दुख-सुख सब को सहने पड़ते हैं,इनसे न कोई बचा है न कोई बचेगा ।मैं आज बाहर के कार्ड पोस्ट कर देता हूँ ..पाँच छह दिन में लोकल कार्ड भी बाँटने शुरू कर देंगे ।'
      
 email -  agarwalpavitra78@gmail.com                                                                  

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